सोमवार, 15 सितंबर 2025

राग द्वेष का क्या अर्थ है?

 राग और द्वेष का अर्थ क्रमशः किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना के प्रति आसक्ति या इच्छा और घृणा या अरुचि है। ये दो विपरीत भावनाएँ हैं जो किसी भी स्थिति में हमारे मन और व्यवहार को प्रभावित करती हैं। राग में हम किसी चीज़ की ओर खिंचे चले जाते हैं, और द्वेष में उससे दूर भागते हैं। 

राग (आसक्ति)

परिभाषा:

किसी चीज़ या व्यक्ति के प्रति अत्यधिक जुड़ाव या चाह रखना। यह एक प्रकार का आकर्षण है। 

प्रकार:

यह इच्छा, आसक्ति या बौद्धिक पसंद के रूप में हो सकती है। 

प्रभाव:

अत्यधिक राग दुख का कारण बनता है, क्योंकि यह छोड़ने या किसी भी चीज़ से अलग होने की भावना को मुश्किल बना देता है। 

द्वेष (घृणा)

परिभाषा:

किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना से घृणा करना, उससे बचकर रहना या उसके प्रति अरुचि रखना। 

प्रकार:

यह किसी चीज़ के प्रति नकारात्मक भावनाएँ और शत्रुतापूर्ण रवैया हो सकता है। 

प्रभाव:

द्वेष, राग की तुलना में अधिक तीव्र हो सकता है और अक्सर बिना किसी स्पष्ट कारण के दूसरों को नुकसान पहुँचाने की इच्छा पैदा करता है। 

संतुलन और माध्यस्थता

योग और ध्यान जैसे दर्शन में, इन दोनों भावनाओं को रोकना महत्वपूर्ण माना जाता है। 

राग और द्वेष से मुक्त होकर माध्यस्थता (अप्रभावित रहना) और समता (संतुलित व्यवहार) का पालन करना जीवन को संतुलित करता है। 

कहा जाता है कि राग से बचकर, व्यक्ति द्वेष से भी बच जाता है। 

राग द्वेष से दूर रहकर ही निष्पक्ष और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है। 

रागों के नाम क्या हैं?

 गों में भैरव, यमन, भैरवी, मल्हार, बागेश्री, खमाज और श्री शामिल हैं। हर राग का अपना एक विशिष्ट समय होता है, जो दिन के या रात के किसी खास प्रहर में गाया या बजाया जाता है। 

भारतीय संगीत के कुछ प्रमुख और लोकप्रिय राग: 
  • भैरव: एक प्रसिद्ध राग जो शिशिर ऋतु में गाया जाता है।
  • यमन: शाम को गाया जाने वाला एक राग।
  • भैरवी: रागों में से एक जो अक्सर गाया जाता है।
  • मल्हार: वर्षा ऋतु के आसपास गाया जाने वाला राग।
  • बागेश्री: एक लोकप्रिय राग।
  • खमाज: एक और लोकप्रिय राग।
  • श्री: एक प्रमुख राग।
  • दीपक: ग्रीष्म ऋतु में गाया जाने वाला एक राग।
  • मेघ: वर्षा ऋतु में गाया जाने वाला एक राग।
  • बसंत: एक राग जो बसंत ऋतु से जुड़ा है।
रागों के प्रकार:
रागों को स्वरों की संख्या के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में बांटा गया है: 
  • संपूर्ण: जिसमें सातों स्वर लगते हों।
  • षाडव: जिसमें छह स्वर लगते हों और कोई एक स्वर वर्जित हो।
  • ओड़व: जिसमें केवल पाँच स्वर लगते हों और दो स्वर वर्जित हों।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु:
  • भारतीय शास्त्रीय संगीत में रागों की संख्या बहुत अधिक है, जिसमें 500 से ज़्यादा राग प्रचलित हैं। 
  • थाट संगीत की एक प्रणाली है जिससे राग उत्पन्न होते हैं; भारतीय संगीत में 10 थाटों का इस्तेमाल किया जाता है। 
  • संधि प्रकाश राग वह होता है जो दिन और रात के मिलन के समय (संधि) पर गाया जाता है। 

6 मुख्य राग कौन से हैं?

 भारतीय शास्त्रीय संगीत में मुख्य राग भैरव, मालकौंस, हिंडोल, दीपक, मेघ, और श्री माने जाते हैं। ये "छह पुरुष राग" के नाम से जाने जाते हैं, जिनके बारे में प्राचीन संगीत ग्रंथों में वर्णन मिलता है। हालांकि,रागों के नामों को लेकर मतभेद भी हैं, और भरत तथा हनुमत जैसे आचार्यों ने कुछ अन्य रागों को छह मुख्य रागों में गिना है। 

छह पुरुष राग:

राग भैरव:

यह एक प्रातःकालीन राग है, जो गंभीर और भक्तिपूर्ण मनोदशा व्यक्त करता है। 

राग मालकौंस:

यह शरद ऋतु से जुड़ा एक राग है। 

राग हिंडोल:

यह भी प्राचीन ग्रंथों में उल्लिखित एक पुरुष राग है। 

राग दीपक:

इस राग का संबंध ग्रीष्म ऋतु से है। 

राग मेघ (मेघ मल्हार):

इसका संबंध वर्षा ऋतु से है और यह मुख्य रागों में से एक है। 

राग श्री:

यह एक कठिन और प्राचीन राग है जो वक्र संरचना वाला मींड प्रधान राग है। 

परिवर्तन और अन्य मत: 

कुछ भारतीय आचार्यों के अनुसार, इन छह रागों के नाम भिन्न हो सकते हैं।

उदाहरण के लिए, भरत और हनुमत के मत से छह मुख्य रागों में भैरव, श्री, मेघ, और कुछ अन्य राग शामिल हो सकते हैं।

वर्तमान में संगीत में लगभग डेढ़ सौ राग प्रचलित हैं, हालांकि सैद्धांतिक रूप से कई अधिक राग संभव हैं।