भारतीय शास्त्रीय संगीत में मुख्य राग भैरव, मालकौंस, हिंडोल, दीपक, मेघ, और श्री माने जाते हैं। ये "छह पुरुष राग" के नाम से जाने जाते हैं, जिनके बारे में प्राचीन संगीत ग्रंथों में वर्णन मिलता है। हालांकि,रागों के नामों को लेकर मतभेद भी हैं, और भरत तथा हनुमत जैसे आचार्यों ने कुछ अन्य रागों को छह मुख्य रागों में गिना है।
छह पुरुष राग:
राग भैरव:
यह एक प्रातःकालीन राग है, जो गंभीर और भक्तिपूर्ण मनोदशा व्यक्त करता है।
राग मालकौंस:
यह शरद ऋतु से जुड़ा एक राग है।
राग हिंडोल:
यह भी प्राचीन ग्रंथों में उल्लिखित एक पुरुष राग है।
राग दीपक:
इस राग का संबंध ग्रीष्म ऋतु से है।
राग मेघ (मेघ मल्हार):
इसका संबंध वर्षा ऋतु से है और यह मुख्य रागों में से एक है।
राग श्री:
यह एक कठिन और प्राचीन राग है जो वक्र संरचना वाला मींड प्रधान राग है।
परिवर्तन और अन्य मत:
कुछ भारतीय आचार्यों के अनुसार, इन छह रागों के नाम भिन्न हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए, भरत और हनुमत के मत से छह मुख्य रागों में भैरव, श्री, मेघ, और कुछ अन्य राग शामिल हो सकते हैं।
वर्तमान में संगीत में लगभग डेढ़ सौ राग प्रचलित हैं, हालांकि सैद्धांतिक रूप से कई अधिक राग संभव हैं।
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