बुधवार, 25 मार्च 2020

राग बागेश्री परिचय | RAAG BAGESHVARI PRICHAY


राग बागेश्री हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक राग है। यह राग काफी थाट से उत्पन्न हुआ है। गाने या बजाने का समय रात का तीसरा प्रहर माना जाता है।





इस बंदिश की उठान 12वीं मात्रा से है जो रचियता की असाधारण सृजनात्मकता को दर्शाता है। बंदिश में राग की गम्भीरता तथा अन्य लक्षणों का समुचित समावेश हुआ है। अरुणा राव जी भक्ति-भाव से युक्त रचनाकार है। बंदिश में राग का लालित्य तथा लय का प्रवाह मन को मोहित कर लेता है। राग की प्रकृति के अनुरूप स्वरों तथा अलंकारों का समुचित प्रयोग बंदिश सौन्दर्य को बढ़ाता है। साहित्य अत्यन्त उच्च-कोटि का है जो श्रोताओं के सम्मुख चित्र सा प्रस्तुत कर देता है। बंदिश की बनावट में तीनों सप्तकों का समुचित एवं सुन्दर प्रयोग किया गया है।


राग - बागेश्री
थाट - काफी
स्वर - ग - नि कोमल शेष स्वर शद्ध आरोह में रे - प
वर्जित अवरोह में प वर्जित
वादी -
संवादी - सा
गायन समय - रात्रि का दूसरा प्रहर (मध्य रात्रि)
रोह - सा नि सा ग म ध नि सां
अवरोह - सां नि ध म प ध ग ऽ म ग रे सा
पकड़ - ध, नि सा म, म प ध ग, म ग रे सा

बंदिश
स्थाई - कमल नयना हसित वदना नवरतन कंकण सुशोभित
अंतरा - चरनन नुपुर पंकज स्थिता सिंधु विहारिणी आनन्द दायिनी


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