सूफी गायक कैलाश खेर की गिनती उन गायकों में की जा सकती है, जो संगीत के साथ हमेशा कुछ नया प्रयोग करते हैं और उनकी इन कोशिशों को संगीत प्रेमियों ने हमेशा ही सराहा है। कैलाश खेर ने पहली बार फिल्म ‘अंदाज’के लिए ‘रब्बा इश्क ना होए’गीत गाया था, लेकिन उन्हें असली प्रसिद्धि फिल्म ‘वैसा भी होता है’के गाने ‘अल्लाह के बंदे’के बाद मिली। इस गाने ने उन्हें रातों-रात शिखर तक पहुंचा दिया और लोग उन्हें जानने लगे। एक अलग आवाज और शैली की वजह से लोगों ने उन्हें बहुत पसंद किया और आज स्थिति यह है कि कैलाश खेर को प्रतिष्ठित पद्मश्री अवार्ड देने के बारे में सोचा जा रहा है। इस अंतरंग इंटरव्यू में कैलाश खेर संगीत की दुनिया में अपने अब तक के सफर की चर्चा कर रहे हैं :
सुरताल इंडिया ब्लॉग - भारतीय संगीत की अनमोल धरोहर सुरताल इंडिया (surtaalindia.blogspot.com) एक समर्पित हिंदी ब्लॉग है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई और सुंदरता को सरल भाषा में आमजन तक पहुँचाता है। यह ब्लॉग संगीत प्रेमियों, विद्यार्थियों और शौकिया कलाकारों के लिए एक विश्वसनीय स्रोत है, जहाँ राग-रागिनियों, थाट प्रणाली, स्वर लक्षण और संगीत शास्त्र के जटिल विषयों को रोचक ढंग से समझाया जाता है। ब्लॉग की मुख्य विशेषताएँ: राग-द्वेष से लेकर रागों के नाम तक: राग और द्वेष की दार्शनिक व्याख्या से शुर
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गुरुवार, 20 मार्च 2014
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