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बुधवार, 25 मार्च 2020

राग बागेश्री परिचय | RAAG BAGESHVARI PRICHAY


राग बागेश्री हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक राग है। यह राग काफी थाट से उत्पन्न हुआ है। गाने या बजाने का समय रात का तीसरा प्रहर माना जाता है।

शनिवार, 22 मार्च 2014

राग यमन

प्रथम पहर निशि गाइये ग नि को कर संवाद ।
जाति संपूर्ण तीवर मध्यम यमन आश्रय राग ॥
राग का परिचय -
1) इस राग को राग कल्याण के नाम से भी जाना जाता है। इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से होती है अत: इसे आश्रय राग भी कहा जाता है (जब किसी राग की उत्पत्ति उसी नाम के थाट से हो)। मुगल शासन काल के दौरान, मुसलमानों ने इस राग को राग यमन अथवा राग इमन कहना शुरु किया।

राग बसंत

राग बसंत या राग वसंत शास्त्रीय संगीत की हिंदुस्तानी पद्धति का राग है। वसंत का अर्थ वसंत ऋतु से है, अतः इसे विशेष रुप से वसंत ऋतु में गाया बजाया जाता है। इसके आरोह में पाँच तथा अवरोह में सात स्वर होते हैं। अतः यह औडव-संपूर्ण जाति का राग है। वसंत ऋतु में गाया जाने के कारण इस राग में होलियाँ बहुत मिलती हैं। यह प्रसन्नता तथा उत्फुल्लता का राग है। ऐसा माना जाता है कि इसके गाने व सुनने से मन प्रसन्न हो जाता है। इसका गायन समय रात का अंतिम प्रहर है किंतु यह दिन या रात में किसी समय भी गाया बजाया जा सकता है। रागमाला में इसे राग हिंडोल का पुत्र माना गया है। यह पूर्वी थाट का राग है। शास्त्रों में इससे मिलते जुलते एक राग वसंत हिंडोल का उल्लेख भी मिलता है। यह एक अत्यंत प्राचीन राग है जिसका उल्लेख अनेक प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।

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