बुधवार, 25 मार्च 2020

राग बागेश्री परिचय | RAAG BAGESHVARI PRICHAY


राग बागेश्री हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक राग है। यह राग काफी थाट से उत्पन्न हुआ है। गाने या बजाने का समय रात का तीसरा प्रहर माना जाता है।

सोमवार, 23 मार्च 2020

राग मेघ मल्हार परिचय

मल्हार राग

मल्हार राग/ मेघ मल्हार, हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत में पाया जाता है. मल्हार का मतलब बारिश या वर्षा है और माना जाता है कि मल्हार राग गाने के गीत बारिश से होता है । मल्हार राग में कर्नाटक शैली में मैडम कहा जाता है । तानसेन और मीरा मल्हार राग में गाने गाने के लिए प्रसिद्ध थे. माना जाता है तानसेन के मियाँ की मल्हार गाने से सुखाने ग्रस्त प्रदेश में भी बारिश थिएटर. मल्हार राग के सबसे लोकप्रिय रूण: करे करे ब्रा घटा घाना घोर मियाँ की मल्हार 
भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम को भी मल्हार राग में गया हुआ है।

रविवार, 22 मार्च 2020

पेट से साँस कैसे लें | अब जानिए सही तरीका | How to sing with inside Voice

हैलो Dosto एक बार फिर से स्वागत है । आप सभी का मेरे Blog SURTAAL पर । दोस्तो आज का जो हमारा Post है इसमें हम बात करने वाले हैं । संगीत से जुड़े एक और इंटरेस्टिंग टॉपिक के बारे में, जो कि  है  बहुत ही ज्यादा जरूरी आपकी सिंगिंग में  । देखिए जैसा कि हम हमेशा से सुनते हुए आ रहे अपने गुरुजनों से टीचर से । कहीं न कहीं से हमने सुना है |

शनिवार, 22 मार्च 2014

राग का परिचय

राग भारतीय शास्त्रीय संगीत की आत्मा हैं। यह संगीत का मूलाधार है। 'राग' शब्द का उल्लेख भरतमुनि के 'नाट्यशास्त्र' में भी मिलता है। 'राग' में कम से कम पाँच और अधिक से अधिक सात स्वरों होते हैं। राग वह सुन्दर रचना है, जो कानों को अच्छी लगे।

राग यमन

प्रथम पहर निशि गाइये ग नि को कर संवाद ।
जाति संपूर्ण तीवर मध्यम यमन आश्रय राग ॥
राग का परिचय -
1) इस राग को राग कल्याण के नाम से भी जाना जाता है। इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से होती है अत: इसे आश्रय राग भी कहा जाता है (जब किसी राग की उत्पत्ति उसी नाम के थाट से हो)। मुगल शासन काल के दौरान, मुसलमानों ने इस राग को राग यमन अथवा राग इमन कहना शुरु किया।

राग बसंत

राग बसंत या राग वसंत शास्त्रीय संगीत की हिंदुस्तानी पद्धति का राग है। वसंत का अर्थ वसंत ऋतु से है, अतः इसे विशेष रुप से वसंत ऋतु में गाया बजाया जाता है। इसके आरोह में पाँच तथा अवरोह में सात स्वर होते हैं। अतः यह औडव-संपूर्ण जाति का राग है। वसंत ऋतु में गाया जाने के कारण इस राग में होलियाँ बहुत मिलती हैं। यह प्रसन्नता तथा उत्फुल्लता का राग है। ऐसा माना जाता है कि इसके गाने व सुनने से मन प्रसन्न हो जाता है। इसका गायन समय रात का अंतिम प्रहर है किंतु यह दिन या रात में किसी समय भी गाया बजाया जा सकता है। रागमाला में इसे राग हिंडोल का पुत्र माना गया है। यह पूर्वी थाट का राग है। शास्त्रों में इससे मिलते जुलते एक राग वसंत हिंडोल का उल्लेख भी मिलता है। यह एक अत्यंत प्राचीन राग है जिसका उल्लेख अनेक प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।

राग क्या है

राग सुरों के आरोहण और अवतरण का ऐसा नियम है जिससे संगीत की रचना की जाती है। पाश्चात्य संगीत में "improvisation" इसी प्रकार की पद्धति 

परिचय[संपादित करें]

'राग' शब्द संस्कृत की 'रंज्' धातु से बना है। रंज् का अर्थ है रंगना। जिस तरह एक चित्रकार तस्वीर में रंग भरकर उसे सुंदर बनाता है, उसी तरह संगीतज्ञ मन और शरीर को संगीत के सुरों से रंगता ही तो हैं। रंग में रंग जाना मुहावरे का अर्थ ही है कि सब कुछ भुलाकर मगन हो जाना या लीन हो जाना। संगीत का भी यही असर होता है। जो रचना मनुष्य के मन को आनंद के रंग से रंग दे वही राग कहलाती है।